करने के लिए आदमी ही सब कुछ करता है मगर उससे तेज उसका मन...कुछ अच्छा कुछ बुरा...आइये दोनों का स्वागत करें!
18 मई 2011
मोहब्बत का नया तराना
शम्मा परवाने बदल गए,
दिल के पैमाने बदल गए
अब तो राडि या राजा है,
कलमाड़ी का ही बाजा है
गूंज रही बस एक ही धुन
ओ मेरी जनता सुन सुन सुन...
हर मुहब्बत का एक अंदाज है,
भ्रष्टाचार तो दिल की आवाज है
इसमें दिल का क्या है कुसूर,
हम उसी की सुनते हैं हुजूर
तु भी कुछ सपने तो बुन
ओ मेरी जनता सुन सुन सुन...
अंजाम की है किस को फिकर,
इसमें न दुनिया का कोई डर
जालिम जमाने का कुछ करने का नई,
ऐसी ये मोहब्बत जिसमें मरने का नई
लफ्ज गीत के कुछ तो गुन
ओ मेरी जनता सुन सुन सुन...
जुदा करके भी न अलग होंगे हम,
चंद लम्हे में पूरे होंगे सितम
रोक सकेगा कोई न राहें,
चाहे जितनी भर ले आहें
तुन तुनक धुन तुन तुनक धुन
ओ मेरी जनता सुन सुन सुन...
-अरविन्द पाण्डेय वत्स
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