08 मई 2011

"मौत का महायुद्ध"


सुबह से ही केवला के घर बड़े बड़े लोग चक्कर काट रहे थे। इनमें स्थानीय नेता, मीडिया वाले, पुलिस वाले और अधिकारी शामिल थे। केवला दरवाज़े पर बैठी हुई थी और बगल में उसका पति लेटा हुआ था, मगर अब उसमें जान नहीं थी, केवला आज अपने पति को छूने का अधिकार खो चुकी थी, जो उसे बरसों पहले एक रात सामाजिक रीति रिवाज़ो के तहत हासिल हुआ था। शादी की रात पति के चचेरे भाई ने दारू पीकर बड़ा तमाशा खड़ा किया था, जो कि बड़ी मिन्नतों के बाद खत्म हुआ था। उसे इस बात का पता तब चला जब ससुराल आकर एक बार उसी रुप में देखा। हालांकि तमाशे की चीज के बाद तमाशेबाज़ भी एक दिन खत्म हो गया। मगर उसे आज का तमाशा नहीं समझ में रहा था, क्योंकि आज उससे मिन्नत की जा रही थी जबकि उसने कभी दारू नहीं पी और ही उसके पति ने। वो तो सीधा साधा आदमी था उसने हमेशा चादर के अंदर ही पैर पसारा, फिर ऐसा क्या हो गया? उधर दूसरी तरफ शहर में शोर जारी था सड़कों पर हॉर्न का शोर, विधानसभा में नेताओं का और टीवी चैनलों पर केवला के पति का। एंकर और रिपोर्टर एक दूसरे से ऊंची आवाज़ करके उसके पति की मौत का विश्वास दिलाने में जुटे थे कि फलां जगह के फलां आदमी की मौत इस वजह से हुई। हालांकि मौत की वजह को स्पष्ट नहीं बता रहे थे, क्योंकि जैसे ही उसकी मौत की बात आती तुरंत साफ सुथरे कपड़ों में एक आदमी बोलने लगता कि देखिए मौत कैसे हुई ये जांच का विषय है जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं जाएगी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसके बाद बड़ा सा लिख कर आता मौत का महायुद्ध और फिर टीवी पर गूंज उठता विज्ञापनों का शोर..उधर गांव में ज़िले के मजिस्ट्रेट साहब पहुंच चुके थे केवला के पास, ज़िले से निकालकर उनके ज़ेहन में भी गांव का नक्शा खींच दिया था उसके पति की मौत ने आज और उसी की तस्दीक करने आए थे, डीएम साहब अकेले नहीं आए बल्कि अपने साथ महीने भर का राशन साथ लाए थे वो भी बिना किसी कार्ड के,गांव का गांव जुट गया केवला देवी के घर डीएम साहब को देखने के लिए लोगों ने सुन रखा था ज़िले का सबसे बड़ा अधिकारी होता है सो देखने गए। खुसुर फुसुर होने लगी की केवला की किस्मत तो तेज़ है इसके पति की मौत पर ज़िले के सबसे बड़े साहब गए हैं तभी अचानक शोर मचता है गाड़ियों की हों हों का। डीएम साहब गाड़ी की ओर लपकते हैं पता चलता है कि, मंत्री जी आए है मंत्री जी के गाड़ी से उतरते ही डीएम साहब उन्हें किनारे कर लेते है दोनों के बीच बातचीत होती है। मंत्री जी केवला के पास आते हैं उसे समझाते है और डीएम साहब को दिशा निर्देशों की पोटली थमाकर चलते बनते है...इधर टीवी पर मौत का महायुद्ध जारी है महायुद्ध की समीक्षा की जा रही है नेताओं की तिकड़ी के साथ डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक एंकर के पास मौजूद हैं, कुछ को घर से ही जोड़ने की जहमत उठा ली गई है अभी तक तय नहीं हो पाया कि मौत की वजह क्या रही पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का इंतजार अभी भी किया जा रहा है...उधर गांव में केवला के घर में अगले कई सालों का खाना और बाकी सुविधाएं मुहैय्या करा दी गई, बिना मेहनत मजदूरी के कई सालों तक खाया जा सकता था उसका पति मौत के बाद सेलेब्रेटी बन चुका था ये अब तक वो नहीं जान पाई अपनी विपदा के बीच वो सुन्न हो गई थी उसके पति को मरे अब दो घंटे से ज्यादा हो चुके थे। उसे अचानक अपने बापू की याद गई जो उसकी शादी के लिए महीनों से दौड़ भाग कर रहे थे फिर भी कोई कोई कमी बेसी शादी के दिन तक रह ही गई मगर आज दो घंटे में सबकुछ हो गया मानो कोई भूत इन अनजाने आदमियों में घुस गया हो। उसे समझ में नहीं रहा था कि ये हकीकत है या कोई तमाशा इसी बीच गांव वाले उसके पति को अंतिम क्रिया कर्म के लिए ले जाने लगे...उधर टीवी पर मौत का महायुद्ध खत्म हो रहा था...पति की लाश आंखों से ओझल होने वाली थी कि किसी ने उसे आकर बताया कि अफवाह फैली थी कि तुम्हारे पति की मौत भूख से हुई थी.....

-अरविन्द पाण्डेय

1 टिप्पणी:

  1. बेनामी12:51 am

    Ye hi is desh ka durbhagya hai maut ke bad hi mahtva dete hai. marne k bad ghar pe rashan le kar pahuchna to jale pe namak dalne jaisa hi hai.

    Gaurav Kabeer

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